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Thursday 18 June 2020

सुशांत सिंह की मौत और नेपोटिज्म पर बोले शत्रुघ्न सिन्हा- 'उन्हें दमखम के साथ सामने आकर मुकाबला करना था'

सुशांत सिंह राजपूत और शत्रुघ्न सिन्हा कई मायनों में एक जैसे हैं। दोनों ही बिहार से आने वाले सेल्फमेड स्टार्स रहे हैं। सुशांत की मौत की खबर से शत्रुघ्न को काफी धक्का लता है। एक्टर का मानना है कि सुशांत को अपनी परेशानियों का खुलकर सामना करना था। दैनिक भास्कर को दिए एक इंटरव्यू के दौरान शत्रुघ्न नेसुशांतऔर नेपोटिज्म के विवाद पर खास बातचीत की है।

हमारी कई बातें मिलती हैं- शत्रुघ्न

ऐसा दुखद समय सालों में नहीं देखा है। हमारे बीच काफी समानता रही हैं। हम बिहार से रहे हैं। वह भी छोटे बेटे थे और मैं भी छोटा बेटा रहा। मैं भी भगवान के आशीर्वाद से सेल्फमेड कहा जा सकता हूं, वह भी उसी राह पर थे। वह जिस तरह से इंडस्ट्री में आए थे, उनका भी कोई गॉडफादर नहीं था। बहुत ही बढ़िया संस्कार था। बहुत अच्छा सितारा था। उनके अंदर और भी बढ़िया सितारा बनने की संभावना थी काफी पढ़े-लिखे थे।

पहली मुलाकात में ही सुशांत ने इंप्रेस कर दिया था

मेरी व्यक्तिगत तौर पर उनसे मुलाकात या पहचान कम थी। उनसे एक ही बार मुलाकात हुई थी। जब मुझसे मिलने आया था तो बहुत प्रभावित किया। वह इतने प्यार और रिस्पेक्ट के साथ मिला जैसे अपने सोर्स ऑफ इंस्पिरेशन या मोटीवेटर को या कुछ हद तक अपने रोल मॉडल को देख रहा हो। उनकी मेरी बेटी सोनाक्षी से पर्सनल तरीके से कई फंक्शन में मुलाकात हुई थी।

उम्दा कलाकार थे सुशांत

मैं उनकी बहुत कद्र करता था और मैं जानता था कि इस लड़के को लोगों का साथ, सहयोग और आशीर्वाद मिलता गया, तब एक दिन यह बहुत बड़ा सितारा बनेगा, उम्दा कलाकार तो था ही। सुंदर व्यक्तित्व, अच्छी छवि और बहुत ही अच्छे इंसान थे।

आवाज उठाते तो समर्थन मिलता

अगर उसकी कुछ प्रॉब्लम थीं तो वह तो बिहारी था, बड़ा खुद्दार था जैसे मैं यहां पर रहा हूं। वह खुलकर दमदार तरीके से सामने क्यों नहीं आया। आज उसको इतने लोगों का समर्थन मिल रहा है, कल भी उसे बहुत लोगों का समर्थन मिलता। एक बार उसे खुलकर सामने आना चाहिए था। मुझे सुशांतकाफी खुद्दार और स्वाभिमानी दिखता था। अगर यह प्रॉब्लम थी, मुसीबतें थी अगर कुछ लोग परेशानी का सबब बने तो उसको उस वक्त खुलकर आना चाहिए था और दमखम के साथ मुकाबला करना चाहिए था

हम भी चार दिन बिना खाए रहे हैं

इसी उम्र में ऐसे घबराने लगेंगे तो फिर तो धर्मेंद्र हों, मैं हूं या अमिताभ बच्चन हों या बहुत सारे लोग हैं, उनको तो सौ-सौ बार कुछ न कुछ कर लेना चाहिए था। क्या हम लोगों ने कम मुसीबतें देखी हैं। ज्यादा नहीं तो कम भी नहीं देखी है। धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, राजेंद्र कुमार या मुझे देख ले तो हमें किस संघर्ष का सामना नहीं करना पड़ा है। हम में से कई लोग तो तीन-तीन दिन, चार-चार दिन तक खाना नहीं खाते थे। यह तो फिर भी भाग्यशाली लड़का था।

गुरु दत्त साहब ने भी सुसाइड कर गलत किया था

गुरु दत्त साहब थे, मैं कहूंगा उन्होंने भी गलत किया। उन्होंने चाहे जिन कारणों से किया हो। इतने महान फिल्मकार अगर वह सुसाइड करते हैं, तब लोगों ने उन्हें भी गलत कहा था। हालांकि वह अपनी पूरी जिंदगी जी चुके थे। इनकी जिंदगी की तो शुरुआत थी। यह तो सही ढंग से जीने की उम्र थी। यह मरने की उम्र नहीं थी।

बिहार का बेटा नहीं रहा

उनके और उनके परिवार के प्रति श्रद्धांजलि और संवेदना है। इन बातों की खोजबीन करने से कोई विशेष लाभ तो होगा नहीं, क्योंकि जाने वाला तो चला गया। हमारा अपना सुशांत सिंह राजपूत,हमारा सन ऑफ द सॉइल, बिहार का बेटा, पटना का लाडला और सही मायने में पूर्ण भारतीय। पूरे भारतवर्ष के लोगों का उसको प्यार मिला। उनकी वजह से ही जो मकाम हासिल किया। सही मायने में भारतीय हिंदुस्तानी वह आज हमारे बीच में नहीं है।

जीने की कला आना चाहिए

मैं चाहूंगा कि सही मायने में स्वाभिमान के साथ जीना है, अगर नहीं है तो बाकी लोगों का समर्थन लो बाकी लोगों को झकझोरो। अपने अंदर वह शक्ति पैदा करो और सही मायने में जीने का अंदाज सीखो। यह बात मैं यंग जेनरेशन के लिए कह रहा हूं। इस तरह से घबराकर समस्याओं से डरकर ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए। यह जो मुसीबत है, कभी न कभी सबकी जिंदगी में आती हैं। चाहे राजा हो या रंक, गम तो सबको है। किसी को लाइफ का है तो किसी को वाइफ का है, किसी को हेल्थ का है तो किसी को वेल्थ का है। कोई ऐसा इंसान नहीं है, जिसको न हो। सो जीने की कला आनी चाहिए।

क्या पहले भी बॉलीवुड में नेपोटिज्म था?

भाई-भतीजावाद की बेतुकी बात निकाल रहे हैं।राज कपूर नेअपने टैलेंटेड बेटे ऋषि कपूर को मौका दिया तो वह कोई भाई- भतीजावाद तो नहीं था। उनको लगा कि वह उस रोल में सूट करेगा, तब उस टैलेंट को देखकर मौका दिया और बाद में उन्होंने उस टैलेंट को साबित भी किया। भाई-भतीजावाद होता तो हमारे राजेंद्र कुमार साहब के बेटे कुमार गौरव की लव स्टोरी बहुत हिट हुई थी, लेकिन लव स्टोरी के बाद जो कुमार गौरव को स्थान मिलना चाहिए वह नहीं मिला।

सोनाक्षी के पास खुद आए थे सलमान

एक बार अपॉर्चुनिटी तो मिल सकती है लेकिन स्टार को पास-फेल जनता जनार्दन बनाती है। अगर आपका इशारा हमारी बेटी सोनाक्षी की तरफ है तो हमारेफैमिली फ्रेंड सलमानऔर उनके लोग खुद आए थे। सोनाक्षीतो फिल्म लाइन में जाना भी नहीं चाह रही थी। फैशन का कोई शो चल रहा था, वहां पर कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही थी, वहां पर सलमान के परिवार ने उसे देखा। घर पर भी सलमान के परिवार वालों ने कई बार सोनाक्षी को देखा था तोबेचारे प्यार और सम्मान के साथहमारे पास आए। सलमान खान ने कहा भी था कि दबंग देखने के बाद सब लोगों को ऐसा लगेगा कि ऐसी बहन, बेटी और बहू हो। कहना यह चाह रहा हूं कि सलमान खान ने कितनी बार हीरो हीरोइन को चांस दिया। सब तो नहीं चली हैं। सोनाक्षी को अगर पास किया और सुपरस्टार बनाया तो उसे देश की जनता ने बनाया है न।



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Shatrughan Sinha said on Sushant Singh's death and nepotism - 'He had to come out strongly and compete'


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