अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की 14 जून को हुई संदिग्ध मौत की जांच पर बिहार और मुंबई पुलिस आमने-सामने है। सोमवार को पहली बार मुंबई पुलिस ने कहा कि इस मामले की जांच का अधिकार बिहार पुलिस को नहीं है। इससे पहले इस मामले की जांच के लिए बिहार से मुंबई पहुंचे एक अधिकारी को 14 दिन के लिए क्वारैंटाइन में भेज दिया गया।
इस घटनाक्रम से कई सवाल खड़े हो गए हैं। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि इसकी जांच का अधिकार किसका है? दरअसल, पटना में सुशांत के पिता केके सिंह ने सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती और उनके परिजन पर गंभीर आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। इसी मामले की जांच करने बिहार पुलिस की टीम इस समय महाराष्ट्र में है।
क्या कहना है मुंबई पुलिस का?
- मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने कहा कि 56 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। रिया से दो बार पूछताछ की है। नैसर्गिक मौत और संदेहास्पद मौत, ये दोनों एंगल की जांच हो रही है।
- मुंबई पुलिस के मुताबिक, 16 जून को सभी लोगों के बयान हुए थे। सुशांत के रिश्तेदारों के भी। लेकिन, उस दौरान किसी ने भी बयान में सुशांत की हत्या का शक नहीं जताया था।
- परमबीर सिंह तो यह भी बोल गए कि उन्हें (बिहार पुलिस) को जीरो एफआईआर दर्ज कर केस हमें ट्रांसफर करना चाहिए था। हमारी जांच सही दिशा में चल रही है।
- हालांकि, मुंबई पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि रिया के खाते में सुशांत के अकाउंट से पैसा ट्रांसफर होने और सुशांत के घर 13-14 जून को पार्टी होने के भी कोई सबूत नहीं मिले हैं।
क्या कहना है बिहार पुलिस का?
- सुशांत के पिता केके सिंह ने 25 जुलाई को पटना में एफआईआर दर्ज की थी। इसमें उन्होंने रिया और उसके परिजन समेत छह लोगों पर सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया है।
- बिहार पुलिस ने अपनी जांच शुरू कर दी है। उसकी टीम फिलहाल मुंबई में है। एक अधिकारी विनय तिवारी भी मुंबई पहुंचे थे, लेकिन मुंबई महानगर पालिका ने उन्हें 14 दिन के लिए क्वारैंटाइन में भेज दिया गया है।
- बिहार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर का कहना है कि सुशांत के पिता पटना में रहते हैं। उनकी शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है। इससे इस मामले की जांच में बिहार पुलिस का क्षेत्राधिकार है।
- दरअसल, बिहार में अब यह मुद्दा एक सियासी मुद्दा बन चुका है। इस वजह से नेताओं की रुचि भी बढ़ गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर अन्य नेता इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं?
किसका दावा सही- क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
- महाराष्ट्र में कई सनसनीखेज मामलों में सरकारी वकील रहे उज्जवल निकम का कहना है कि सीआरपीसी (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर) में दो अलग-अलग सेक्शन में क्षेत्राधिकार बताया गया है।
- सीआरपीसी के सेक्शन 177, 178 और 179 में कोर्ट के क्षेत्राधिकार की बात कही गई है। वहीं, सेक्शन 156 में किसी कॉग्नीजेबल (नोटिस करने योग्य) केस में पुलिस अधिकारी के क्षेत्राधिकार स्पष्ट किए हैं।
- सेक्शन 156 के अनुसार, पुलिस अधिकारी को कोर्ट के क्षेत्राधिकार में जांच करने का अधिकार है। इसी सेक्शन का सब-सेक्शन (2) कहता है कि यदि क्षेत्राधिकार से बाहर जांच कर भी ली तो उस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।
- हालांकि, निकम का कहना है कि यदि भोपाल में कोई मर्डर हुआ है और उसका कोई लिंक मुंबई में निकलता है तो जीरो में एफआईआर दर्ज होती है। इसके बाद डुप्लीकेशन से बचने के लिए मुंबई पुलिस केस की जांच भोपाल भेज देती है।
... तो अब आगे क्या होगा?
- इस मामले में रिया चक्रवर्ती ने बिहार पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए एफआईआर को मुंबई ट्रांसफर करने की मांग की है। इस पर बुधवार को सुनवाई होना है।
- बिहार सरकार ने भी पार्टी बनने की तैयारी दिखाई है। वहीं, सुशांत के पिता केके सिंह ने भी कैविएट लगाई है। ताकि केस पर फैसला सुनाने से पहले कोर्ट के सामने उन्हें अपनी बात रखने का मौका मिले।
- क्रिमिनल वकील उज्जवल निकम का कहा है कि इस केस में दो राइवल थ्योरी है। ऐसे में, सुप्रीम कोर्ट ही तय करेगा कि बिहार पुलिस को जांच मुंबई शिफ्ट करना चाहिए या वह स्वतंत्र जांच कर सकेगी।
- सुप्रीम कोर्ट चाहेगी तो इस मामले की जांच अपने स्तर पर सीबीआई को भी सौंप देगी। इससे दोनों राज्यों की पुलिस का क्षेत्राधिकार का मसला भी खत्म हो जाएगा। हालांकि, महाराष्ट्र इसका विरोध कर रहा है।
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