कई दिनों से लगातार भारत और चाइना की बॉर्डर पर विवाद चल रहा है। चाइना लगातार भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है जिससे पूरे देश में हलचल है। डायरेक्टर जे पी दत्ता दो साल पहले ही अपनी फिल्म पलटन में इस मुद्दे को उठा चुके हैं। अब लगातार बढ़ते मामले को देख जे पी दत्ता ने भास्कर से इस बारे में खास बातचीत की है।
चाइना और भारत के बीच हो रही लड़ाईपर मैंने 2 साल पहले हीएक फिल्म बनाई थी।फिल्म में बताया गया है कि कैसे1962 मैं भारत ने चाइना को मुह तोड़ जवाब दिया थाऔर सिक्किम को चाइना में जाने से बचाया था क्योंकि उनकी नजर सिक्किम पर थी। 1967 से ही चाइना की नजर ना केवल भारतपर, बल्कि दूसरे देशों पर भी कब्जा करने पर रही है। अगर आप देखिए तो एशिया के जो समंदर है उस पर भी वह कब्जा करना चाहते हैं, ताइवान भी लेना चाहते हैं। अगर चाइना वालों को मैप बनाने कहा जाए तो वह पूरे एशिया को अपने आप में शामिल कर लेंगे। जापान तक को वो अपना होने का दावा करेंगे।
पाकिस्तान नहीं चायना है दुश्मन
हमने 62 के बाद से ही चाइना की तरफ एक बहुत ही डिप्लोमेट, बहुत ही डरा हुआ एटीट्यूड रखा है जो कि बहुत ही अफसोस की बात है। क्योंकि हमने इन्हें बहुत ही हल्के में लिया है, हमें ऐसा लगता आया है वो हमारे दुश्मन नहीं है। इतना ही नहीं हमारी आम जनता को भी ऐसा लगता है कि चाइना हमारा दुश्मन नहीं है। बल्कि हमारा दुश्मन पाकिस्तान है। लेकिन हकीकत में असली ड्रैगन जो है वह चाइना ही है। चाइना का केवल एक ही मकसद है, पूरी दुनिया पर राज करना। यही कारण है कि चाइना ने पूरी दुनिया के साथ बायोलॉजिकल लड़ाई शुरू की है जिसका नाम कोरोना है।
ये कभी अपनी जुबान पर नहीं टिके
जिस तरह से चाइना ने गलवान में हमारे सैनिकों पर हमला किया है, और इतने दिनों से किया जा रहा है। एग्रीमेंट करने के बावजूद इन्होंने ये हरकत की है। ये सभी को पता है कि चाइनीज कभी भी अपनी जुबान पर नही टिके है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि हम कभी भी किसी की जमीन पर नजर नहीं रखते और इसका फायदा हमेशा से चाइना ने उठाया है। 1967 से लेकर 2020 तक हमारा एटीट्यूड चाइना की ओर नही बदला है लेकिन इस घटना के बाद अब बदलने की जरूरत है। पिछले दो-तीन सालों से भारतीय चाइना के खिलाफ हैं यहां तक कि उनके सामान को भी बॉयकॉट करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस मुद्दे पर बनी फिल्म का उड़ाया गया मजाक
मैं नहीं मानता आम जनता चाइना के खिलाफ है, या उन्हें कुछ समझ में आती है चाइना की राजनीति। जब मैंने अपनी फिल्म ‘पलटन’ रिलीज की थी तो लोगों और मीडिया ने उसका मजाक उड़ाया था। काफी कुछ उटपटांग लिखा गया था अगर मैं फिल्म के एक सीन की बात करूं जिसमें फैक्ट दिखाया गया है जो असल में हुआ है। क्योंकि जो सीन दिखाया गया है उस सीन के बारे में जो रियल आर्मी ऑफिसर्स है उनसे बात करके उस सीन को फिल्माया गया था। पलटन बहुत ही ओरिजिनल और एक रियलिस्टिक फिल्म है। लेकिन जब हम चाइना को दुश्मन मानते ही नहीं तो क्यों इस फिल्म को सही मानेंगे।
आज अचानक से जाग गए हैं लोग ट्विटर पर देखता हूं तो लोग कमेंट कर रहे हैं, बातें लिख रहे हैं, कुछ लोग मुझे पलटन को एक बार फिर रिलीज करने के लिए कह रहे हैं। मुझे तो यह समझ नहीं आ रहा क्या हमारा देश मुर्गा परस्त है क्या? जब तक इंसान की जान नहीं जाएगी तब तक उन्हें समझ नहीं आएगा क्या ?
हमने चाइना को मजबूत बनने का मौका दिया
मुझे नहीं लगता की चाइना सामान बॉयकॉट करने से सुधरने वाला है। उसे यह कभी नहीं लगेगा कि हमारे बिजनेस को बॉयकॉट कर हमें कमजोर बनाने की कोशिश करने में बहुत ताकतवर हैं। उसे इन सब चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। अगर हम उन्हें बॉयकॉट करेंगे तब भी कई ऐसे देश है जो चाइना के साथ डील करते हैं और उनके साथ खड़े है। यह हमारी गलती है कि हमने चाइना को मजबूत बनने का मौका दिया।
कई साल पहले डिफेंस मिनिस्टर जॉर्ज फर्नांडिस ने एक स्टेटमेंट दिया था कि हमारा दुश्मन चाइना है, ना कि पाकिस्तान। उस वक्त उन पर हम हंस रहे थे लेकिन उन्होंने सच कहा था। बस यह था कि हमारे देश में अगर पहले से आगाह कर दिया जाए तो लोग उसे बेवकूफ समझते हैं। और जब आज बात सामने आई है तब लोगों को समझ आ रहा है।
चाइना अमेरिका जैसे देश पर भी कब्जा करने की कोशिश कर रहा है तो हम तो उसके पीछे हैं। इस वक्त इंटरनेशनल कम्युनिटी से बात कर चाइना को समझाने की जरूरत है, और जो गलतियां बार-बार कर रहा है उसे एक वार्निंग देने की सख्त जरूरत है। जिस तरह कोरोना को लेकर सभी देश एकजुट होकर चाइना के खिलाफ खड़े हैं, और उसे जवाब देने के लिए मजबूर कर रहे थे। आखिर ये बीमारी आई कैसे ? और इतनी बड़ी तादाद में फैली कैसे? चाइना डर गया है क्योंकि अब यह मामला इंटरनेशनल जस्टिस कोर्ट में जा चुका है। चाइना इतना बौखला गया है कि उसने उसकी भड़ास हिंदुस्तान पर निकाल दी है।
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